Saturday, March 9, 2013

Dr Kumar Viswas

कहीं पर जग लिए तुम बिन, कहीं पर सो लिए तुम बिन ,
भरी महफ़िल मे भी अक्सर , अकेले हो लिए तुम बिन ,
ये पिछले चंद वर्षों की , कमाई साथ है अपने ,
कभी तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन...!"
Dr. Kumar Vishwas

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