Hello Friends
this is a very nice Urdu romantic Poetry. Hope you all will like this one
वो कहती है सुनो जाना ,
मोहब्बत मौम का घर है ,
तपिश -इ -बुद -गुमानी की ,
कहीं पिघला न दे इस को ?
मोहब्बत मौम का घर है ,
तपिश -इ -बुद -गुमानी की ,
कहीं पिघला न दे इस को ?
मैं कहता हूँ ,
जिस दिल मैं ज़रा भी बद-गुमानी हो ,
वहां कुछ और हो तो हो ,
मोहब्बत हो नहीं सकती ,
जिस दिल मैं ज़रा भी बद-गुमानी हो ,
वहां कुछ और हो तो हो ,
मोहब्बत हो नहीं सकती ,
वो कहती है सदा ऐसे ही ,
क्या तुम मुझ को चाहोगे ?
की मैं इस मैं कमी कोई भी ,
गवारा कर नहीं सकती ,
क्या तुम मुझ को चाहोगे ?
की मैं इस मैं कमी कोई भी ,
गवारा कर नहीं सकती ,
मैं कहता हूँ ,
मोहब्बत क्या है ये तुम ने सिखाया है ,
मोहब्बत क्या है ये तुम ने सिखाया है ,
मुझे तुमसे मोहब्बत के सिवा ,
कुछ भी नहीं आता ,
वो कहती है ,
जुदाई से बहुत डरता है मेरा दिल ,
की खुद को तुम से हट कर देखना ,
मुमकिन नहीं है अब ,
जुदाई से बहुत डरता है मेरा दिल ,
की खुद को तुम से हट कर देखना ,
मुमकिन नहीं है अब ,
मैं कहता हूँ ,
यही खाद्शे बहुत मुझ को सताते हैं ,
मगर सच है मोहब्बत मैं ,
जुदाई साथ चलती है ,
यही खाद्शे बहुत मुझ को सताते हैं ,
मगर सच है मोहब्बत मैं ,
जुदाई साथ चलती है ,
वो कहती है ,
बताओ क्या मेरे बिन जी सकोगे तुम ?
मेरी बातें , मेरी यादें , मेरी आँखें ,
भुला दो गे ?
बताओ क्या मेरे बिन जी सकोगे तुम ?
मेरी बातें , मेरी यादें , मेरी आँखें ,
भुला दो गे ?
मैं कहता हूँ ,
कभी ऐसी बात पर सोचा नहीं मैं ने ,
अगर एक पल को भी सोचों तो ,
साँसें रुकने लगती हैं ,
कभी ऐसी बात पर सोचा नहीं मैं ने ,
अगर एक पल को भी सोचों तो ,
साँसें रुकने लगती हैं ,
वो कहती है तुम्हें मुझसे ,
मोहब्बत इस कदर क्यों है ?
की मैं एक आम सी लड़की i,
तुम्हें क्यों ख़ास लगती हुँ?
मोहब्बत इस कदर क्यों है ?
की मैं एक आम सी लड़की i,
तुम्हें क्यों ख़ास लगती हुँ?
मैं कहता हूँ ,
कभी खुद को मेरी आँखों से तुम देखो ,
मेरी दीवानगी क्यों है ,
ये खुद हे जान जाओगी ,
कभी खुद को मेरी आँखों से तुम देखो ,
मेरी दीवानगी क्यों है ,
ये खुद हे जान जाओगी ,
वो कहती है ,
मुझे वाराफ्त्गी से देखते क्यों हो ?
की मैं खुद को बहुत ,
कीमती महसूस करती हूँ ,
मुझे वाराफ्त्गी से देखते क्यों हो ?
की मैं खुद को बहुत ,
कीमती महसूस करती हूँ ,
मैं कहता हूँ,
माता -इ -जान बोहत अनमोल होती है ,
तुम्हें जब देखता हूँ जिंदगी ,
महसूस करता हूँ ,
माता -इ -जान बोहत अनमोल होती है ,
तुम्हें जब देखता हूँ जिंदगी ,
महसूस करता हूँ ,
वो कहती है ,
मुझे अल्फाज़ के जुगने नहीं मिलते ,
मुझे अल्फाज़ के जुगने नहीं मिलते ,
की तुम्हें बता सकूँ
की दिल मैं मेरे कितनी मोहब्बत है ,
मैं कहता हूँ ,
मोहब्बत तो निगाहों से झलकती है ,
तुम्हारी ख़ामोशी मुझ से ,
तुम्हारी बात करती है ,
मोहब्बत तो निगाहों से झलकती है ,
तुम्हारी ख़ामोशी मुझ से ,
तुम्हारी बात करती है ,
वो कहती है ,
बताओ न किस को खोने से डरते हो ?
बताओ कौन है वो जिसे ,
ये मौसम बुलाते हैं ?
बताओ न किस को खोने से डरते हो ?
बताओ कौन है वो जिसे ,
ये मौसम बुलाते हैं ?
मैं कहता हूँ ,
यह मेरी शाएरी है आइना दिल का ,
ज़रा देखो बताओ किया ,
तुम्हें इस मैं नज़र आया ?
यह मेरी शाएरी है आइना दिल का ,
ज़रा देखो बताओ किया ,
तुम्हें इस मैं नज़र आया ?
वो कहती है ,
आतिफ जी बोहत बातें बनाते हो ,
मगर सच है ये बातें ,
बोहत हे शाद रखती हैं ,
आतिफ जी बोहत बातें बनाते हो ,
मगर सच है ये बातें ,
बोहत हे शाद रखती हैं ,
मैं कहता हूँ ,
यह सुब बातें ये फ़साने एक बहाना हैं ,
क पल कुछ जिंदगानी की ,
तुम्हारे साथ कट जाएँ ,
यह सुब बातें ये फ़साने एक बहाना हैं ,
क पल कुछ जिंदगानी की ,
तुम्हारे साथ कट जाएँ ,
फिर उस के बाद ख़ामोशी का ,
दिलकश रक्स होता है ,
निगाहें बोलती हैं और ,
लैब खामोश रहते हैं …!!!
दिलकश रक्स होता है ,
निगाहें बोलती हैं और ,
लैब खामोश रहते हैं …!!!
1 comment:
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